कल तक जिस राह पर चलते आये है
वो आज भी सुनी डगर है
कल भी कल की खबर नहीं थी
न आज कोई खबर है
सपने बहुत सजाये है
अरमानो के पंख लगाये है
तूफान के कश्ती फस भी जाये तो
इरादों के सैलाब को रोक नहीं पाए है
पर क्या पता इन्ते जो ख्वाब है
कब टूट कर बिखर जाये
ये जो चलती सास है
कब धड़कन अधूरी छुट जाये
कब जिंदगी हमसे नाता तोड़ दे
नहीं जानते इस सफ़र में कौनसा आखरी मोड़ है ........
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जी ले आज जिन्दगी अपनी
कल किसने देखा है
यहाँ तो हर पल हर घडी
ख्वाबो का घरौंदा किस्मत ने लूटा है
चलता है मुसाफिर मंजील की तलाश में
पर सफ़र कितना लम्बा है किसने देखा है
बदलते है मौसम यहाँ एक पहर के बाद
डूबते सूरज के साथ भी सजता है दिल में ख्वाब
चाँद की रौशनी से किसको गिला है
कभी तो अँधेरे में उसका साथ मिला है
चलते रहो ऐसे की बस चलना ही जिंदगी है
रुक कर क्या पीछे देखोगे तो दर्द के सिवा कुछ न चूता है
परछाई की तरह चलता है साथ में कल हमारा
उससे वजूद तेरा जो जुड़ा है
पर न कल पर न बरोसा करना
आज की जिंदगी आज ही जीना
हर ख्वाइश को पूरा करके
हसते हसते अलविदा कहना
इतना जो साथ है यादो में रखना
कल में उमीद ना लगाना
क्यों की ना जाने कौनसा मोड़ आखरी हो..........
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हर बात में तेरी याद है
कदम कदम चलते हु
मेरे हाथ में तेरा हात है
मै भी जीती हु हर लम्हा तेरे साथ
ना जाने कौनसा मोड़ आखरी हो
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